कटिहार/बरारी/नरेश चौधरी :----कटिहार के बरारी प्रखंड में भी धूम धाम से बट सावित्री पूजन किया गया । प्रखंड के रेफरल अस्पताल चौक गुरुबाजार बरारी हाट भण्डारतल काबर विशनपुर, कान्तनगर आदि गांवों में महिलाएं सोलह-सिंगार कर बरगद के पेड़ में मोली धागे बांधकर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की । वट सावित्री पूजा कर रही महिलाएं गीता देवी,रानी देवी,पिंकी देवी,सुनीता देवी,अनिता देवी ने बताया कि वट सावित्री पूजा से पहले सभी महिलाएं एक दिन पहले नहाय-खाय करते है फिर दूसरे दिन पंखा सहित आम , लीची ,तरबूज,केला खीरा गुजिया आदि पकवान बनाकर वट वृक्ष के नीचे प्रसाद चढ़ाते हैं।
और वट वृक्ष के चारों तरफ सात फेरे लगाकर व्रत को सम्पन्न किया करते है सुबह से ही बट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं की वटवृक्ष के नीचे भारी भीड़ उमड़ने लगी। जिले के सभी गांव कस्बों में महिलाओं ने उपवास कर बट सावित्री व्रत रखते हुए वटवृक्ष की पूजा अर्चना की।
इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जा रहे थे तब सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगीं। जब सावित्री पीछे चली आ रही थीं तो यमराज ने काफी समझाया लेकिन उनकी निष्ठा और पतिव्रत देखकर यमराज प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा। तब सावित्री ने अपने सास-ससुर के लिए नेत्र, खोया हुआ राज-पाठ और सौ पुत्रों का वरदान मांगा। यमराज ने सभी मांगें मान लीं और तथास्तु कह दिया।जब यमराज उनके पति को ले जाने लगे तब सावित्री ने कहा कि प्रभु जब आप हमारे पति को ही ले जा रहे हैं तो मैं पुत्रवती कैसे बनूंगी यह सुनकर यमराज भी संशय में पड़ गए और अंततः उन्होंने सत्यवान के प्राण को वापस लौटा दिया। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि बट वृक्ष ही एक ऐसा वृक्ष है जिसकी आयु बहुत ही लंबी होती है यही कारण है वट वृक्ष की पूजा की जाती है ताकि उनके पति बट वृक्ष की तरह दीर्घायु हो और शक्तिशाली हो। महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर भगवान से अपने पति और परिवार की सुखमय जीवन की कामना करते हुए इस व्रत करती है ।
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और वट वृक्ष के चारों तरफ सात फेरे लगाकर व्रत को सम्पन्न किया करते है सुबह से ही बट सावित्री पूजा को लेकर महिलाओं की वटवृक्ष के नीचे भारी भीड़ उमड़ने लगी। जिले के सभी गांव कस्बों में महिलाओं ने उपवास कर बट सावित्री व्रत रखते हुए वटवृक्ष की पूजा अर्चना की।
इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर जा रहे थे तब सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगीं। जब सावित्री पीछे चली आ रही थीं तो यमराज ने काफी समझाया लेकिन उनकी निष्ठा और पतिव्रत देखकर यमराज प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा। तब सावित्री ने अपने सास-ससुर के लिए नेत्र, खोया हुआ राज-पाठ और सौ पुत्रों का वरदान मांगा। यमराज ने सभी मांगें मान लीं और तथास्तु कह दिया।जब यमराज उनके पति को ले जाने लगे तब सावित्री ने कहा कि प्रभु जब आप हमारे पति को ही ले जा रहे हैं तो मैं पुत्रवती कैसे बनूंगी यह सुनकर यमराज भी संशय में पड़ गए और अंततः उन्होंने सत्यवान के प्राण को वापस लौटा दिया। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि बट वृक्ष ही एक ऐसा वृक्ष है जिसकी आयु बहुत ही लंबी होती है यही कारण है वट वृक्ष की पूजा की जाती है ताकि उनके पति बट वृक्ष की तरह दीर्घायु हो और शक्तिशाली हो। महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर भगवान से अपने पति और परिवार की सुखमय जीवन की कामना करते हुए इस व्रत करती है ।
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