कटिहार/नीरज झा :-- विभिन्न क्षेत्र के साथ साथ कटिहार में भी बट सावित्री को लेकर बाजारों में रौनक देखी गई । पति की लंबी उम्र के लिए मनाए जाने वाले यह पर्व वट सावित्री पूजा सोमवार को जिले भर में धूमधाम के साथ संपन्न हो गया । इस पर्व को मनाने के लिये सुहागन महिला एक दिन पहले नहाय खाय करती है जिसमे निराहार रहकर बिना नमक के शाम के बाद फलाहार करती है ।
बटसावित्री पूजा को लेकर नवविवाहिता महिलाओं में खासा उत्साह होता है । सुबह से ही महिलाएं सोलह सिंगार कर वटवृक्ष के नीचे पहुंचकर पूरी श्रद्धा और नियम निष्ठा के साथ पूजा अर्चना करती है । जिनकी नई शादी हुई है वो महिलाये विशेष रूप से बट वृक्ष के पास अपने पति की लंबी आयु के लिए बृहद रूप से पूजा अर्चना करती हैं इसके लिए नव विवाहिता के ससुराल से फल फूल मिठाई के साथ साथ मिट्टी के बने सुंदर हाथी के ऊपर नव विवाहिता पूजा अर्चना करती है साथ ही साँप के रूप में नाग नागिन की भी पूजा की जाती है । पूजा के उपरांत विवाहित महिला प्रसाद ग्रहण करती है और पूजा के वाद भी आज भी फलाहार मे ही रहती है ।
मान्यता के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान को वटवृक्ष का पूजा कर यमराज से पुनर्जीवित करवाया था जिसके बाद यह परंपरा चली आ रही है ।
©www.katiharmirror.com
बटसावित्री पूजा को लेकर नवविवाहिता महिलाओं में खासा उत्साह होता है । सुबह से ही महिलाएं सोलह सिंगार कर वटवृक्ष के नीचे पहुंचकर पूरी श्रद्धा और नियम निष्ठा के साथ पूजा अर्चना करती है । जिनकी नई शादी हुई है वो महिलाये विशेष रूप से बट वृक्ष के पास अपने पति की लंबी आयु के लिए बृहद रूप से पूजा अर्चना करती हैं इसके लिए नव विवाहिता के ससुराल से फल फूल मिठाई के साथ साथ मिट्टी के बने सुंदर हाथी के ऊपर नव विवाहिता पूजा अर्चना करती है साथ ही साँप के रूप में नाग नागिन की भी पूजा की जाती है । पूजा के उपरांत विवाहित महिला प्रसाद ग्रहण करती है और पूजा के वाद भी आज भी फलाहार मे ही रहती है ।
मान्यता के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान को वटवृक्ष का पूजा कर यमराज से पुनर्जीवित करवाया था जिसके बाद यह परंपरा चली आ रही है ।
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