कटिहार/नीरज झा :---गुरुवार की शाम कटिहार के विभिन्य नदियों तालाबो के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न घाटों पर चैती छठ महापर्व के अवसर पर भगवान भास्कर को प्रथम यानी संध्या का अर्ध्य दिया गया।
अब कार्तिक छठ की तरह ही चैती छठ भी सूबे में अपनी छटा बिखेरने लगा है और दिन प्रतिदिन नए नए व्रती चैती छठ से जुड़ते जा रहे हैं इसलिए अब गंगा घाटों जलाशयों अथवा आंगन के कृत्रिम तालाबों में भगवान सूर्य जो प्रत्यक्ष आदि देव और संसार मे ऊर्जा तथा प्रकाश के एक मात्र स्रोत हैं, उनकी आराधना श्रद्धालु ठीक उसी नियम और श्रद्धा के साथ उसी पवित्रता के साथ जैसे कार्तिक मास के महापर्व में करते है ।
हालांकि गर्मी अधिक रहने तथा चुनावी की तारीख नजदीक होने के कारण क्षेत्र के घाटो पर लोग कम आ रहे है । बताते चले कि व्रती को 36 घण्टे निर्जला रहना पड़ता है जिसे व्रती को अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है फिर भी इस महापर्व की आस्था लगातार बढ़ रही है बढ़ते जा रही है छोटे क्या बड़े क्या सब जन्मस्तक हो रहे है ।
अध्यात्म से लेकर प्रकृति और विज्ञान से लेकर पराविज्ञान के हर पहलू से जुड़े इस महापर्व की छटा देखते ही बनती है ।
©www.katiharmirror.com
अब कार्तिक छठ की तरह ही चैती छठ भी सूबे में अपनी छटा बिखेरने लगा है और दिन प्रतिदिन नए नए व्रती चैती छठ से जुड़ते जा रहे हैं इसलिए अब गंगा घाटों जलाशयों अथवा आंगन के कृत्रिम तालाबों में भगवान सूर्य जो प्रत्यक्ष आदि देव और संसार मे ऊर्जा तथा प्रकाश के एक मात्र स्रोत हैं, उनकी आराधना श्रद्धालु ठीक उसी नियम और श्रद्धा के साथ उसी पवित्रता के साथ जैसे कार्तिक मास के महापर्व में करते है ।
हालांकि गर्मी अधिक रहने तथा चुनावी की तारीख नजदीक होने के कारण क्षेत्र के घाटो पर लोग कम आ रहे है । बताते चले कि व्रती को 36 घण्टे निर्जला रहना पड़ता है जिसे व्रती को अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है फिर भी इस महापर्व की आस्था लगातार बढ़ रही है बढ़ते जा रही है छोटे क्या बड़े क्या सब जन्मस्तक हो रहे है ।
अध्यात्म से लेकर प्रकृति और विज्ञान से लेकर पराविज्ञान के हर पहलू से जुड़े इस महापर्व की छटा देखते ही बनती है ।
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