
बच्चों में पौषणिक स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से स्कूल में शैक्षणिक कार्य दिनों के दौरान बच्चों को मुफ्त भोजन दिया जाता है. इसका मुख्य मकसद बच्चों को पोषणयुक्त भोजन मुहैया कराना है. औपचारिक तौर पर केंद्र सरकार ने इसे 1995 में लागू किया लेकिन ज्यादातर राज्यों ने 28 नवंबर 2001को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बाद ही इस योजना को अपनाया इसके बाद से तमाम सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में यह योजना चलायी जाने लगी
सूबे मे जहां बाढ़ से लाखो लोग तवाह हो गये औऱ सैकड़ो जाने चली गयी वही कटिहार के स्कूलों के गुरु जी ने मध्यान भोजन के नाम पर लूट मचा कर सरकार शिक्षा विभाग के महत्वपूर्ण योजना मध्यान भोजन घोटाला कर दिया गया है । छेत्र मे बाढ़ से 14 अगस्त से अनिश्चितकालीन शैक्षणिक कार्य स्कूलों में बंद कर दी गई अगले आदेश तक जो 25-08-17 को नये आदेश से पुनह शैक्षणिक कार्य शुरू किया गया | इन बंद अबधि मै भी जिले के गुरु जी ऑनलाइन रिपोर्टिंग बच्चों की उपस्थिति दर्शाते रहे औऱ सरकार औऱ विभाग को चुना लगाया गया
बताते चले की जिला प्रशासन ने बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए 16 तारीख से ही लिखित आदेश स्कूल बंद करने का सभी स्कूल प्रधानाध्यापक को दे दी गई थी मानो जिलाधिकारी का आदेश उनके लिए है ही नहीं उन्हें तो बस एमडीएम लूट करना था क्योंकि जिले के सारे आला अधिकारी बाढ़ की विभीषिका लोगों को कैसे बचाया जाए उसमें लगे थे
जिले मे स्कूल शिक्षक आला अधिकारी का आदेश भी अब मानते नही है जिले के जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्रा ने एक आदेश पारित किया किसी भी परिस्थिति में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मध्यान्ह भोजन बंद ना हो साथ ही सभी वित्तीय चार्ज वरीय शिक्षक को देकर पठन-पाठ सुचारु रुप से किया जाए लेकिन मध्य विद्यालय द्वाशय मैं कई दिनों से मध्यान भोजन बंद है 17 मार्च 2017 से वरीय शिक्षक आने के बाद भी उन्हें वित्तीय चार्ज नहीं दिया गया और ऑनलाइन गलत रिपोर्टिंग देते रहे साथ ही मिडिया के केमरे पर सफेद झूठ बोलते है
इस मामले में सूबे के जिलाधिकारी मिथिलेश मिश्रा से जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया प्रथम दृष्टया सही नहीं लगता है एमडीएमके के जो प्रभारी हैं और शिक्षा के पदाधिकारी है उस से रिपोर्ट लेकर स्कूल चली है कि नहीं चली है कई बार ऑपरेटर की गलती से या सिस्टम मे जो एंट्री किया है उसके गलती से डाटा रिफ्लेक्ट हो सकता है ऐसे उस सभी स्कूल का अकाउंट चेक करना पड़ेगा वास्तव में उस दिन स्कूल में खाना बना है कि नही स्कूल चला है कि नहीं राशि की निकाशी हुई है कि नही कोई आपत्तिजनक बात होगी तो कार्यवाही की जाएगी
जब से स्कूलो मै मध्याह्न भोजन योजना मिड डे मील स्कीम चालू हुयी है गुरु जी बच्चो के क्लास कम और सरकारी राशी और चावल का जोड़ घटा करते नजर आते है हो भी क्यों ना खुद के साथ साथ जिले के बड़े अधिकारियो तक नजराना पहुचना पड़ता है नहीं तो आला अधिकारियो का कोप भाजन करना पड़ता है|
कुमार नीरज
©www.katiharmirror.com
कोई टिप्पणी नहीं
टिप्पणी पोस्ट करें