आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने यौन हिंसा से सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रही बीएचयू की लड़कियों और उनका साथ दे रहे छात्रों पर बर्बर पुलिस लाठीचार्ज की कठोर शब्दों में
निंदा की है। २५ सितम्बर को बारसोई ब्लाक चौक मुक्य चोराहे पर आइसा से जुड़े छात्रों ने बीएचयू के कुलपति को तत्काल हटाए जाने, लाठीचार्ज का आदेश देने वाले वाराणसी के डीएम, एसएसपी व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए कुलपति ,मुख्यमंत्री योगी एवं नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन किया है!
आइसा के बारसोई संयोजक मो हुसैन ने वाराणसी में रहते हुए भी छात्राओं के आंदोलन और उनकी मांग की अवहेलना करने के लिए प्रधानमंत्री ( जो कि वाराणसी के सांसद भी है ) और मुख्यमंत्री से माफी मांगने की भी मांग की है। आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष काजिम इरफानी ने छेड़खानी और यौन हिंसा के खिलाफ बीएचयू की छात्राओं के आंदोलन पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि उनका प्रतिरोध इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। छेड़खानी व यौन हिंसा की लगातार शिकायतों के बावजूद बीएचयू प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करना और इसके लिए छात्राओं को ही दोषी ठहराते हुए उन पर तमाम प्रतिबंध लगाना बेहद शर्मनाक व अस्वीकार्य है। छात्राओं के आंदोलन की एक प्रमुख मांग कुलपति द्वारा मौके पर आकर उनकी सुरक्षा का आश्वासन देना था इस मांग को भी अस्वीकार कर देना और आधी रात को कैम्पस के अंदर पुलिस को लाठीचार्ज के लिए आमंत्रित करना कुलपति के तानाशाही और अहंकारी चरित्र का परिचायक है।
©www.katiharmirror.com
निंदा की है। २५ सितम्बर को बारसोई ब्लाक चौक मुक्य चोराहे पर आइसा से जुड़े छात्रों ने बीएचयू के कुलपति को तत्काल हटाए जाने, लाठीचार्ज का आदेश देने वाले वाराणसी के डीएम, एसएसपी व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए कुलपति ,मुख्यमंत्री योगी एवं नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन किया है!
आइसा के बारसोई संयोजक मो हुसैन ने वाराणसी में रहते हुए भी छात्राओं के आंदोलन और उनकी मांग की अवहेलना करने के लिए प्रधानमंत्री ( जो कि वाराणसी के सांसद भी है ) और मुख्यमंत्री से माफी मांगने की भी मांग की है। आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष काजिम इरफानी ने छेड़खानी और यौन हिंसा के खिलाफ बीएचयू की छात्राओं के आंदोलन पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि उनका प्रतिरोध इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। छेड़खानी व यौन हिंसा की लगातार शिकायतों के बावजूद बीएचयू प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करना और इसके लिए छात्राओं को ही दोषी ठहराते हुए उन पर तमाम प्रतिबंध लगाना बेहद शर्मनाक व अस्वीकार्य है। छात्राओं के आंदोलन की एक प्रमुख मांग कुलपति द्वारा मौके पर आकर उनकी सुरक्षा का आश्वासन देना था इस मांग को भी अस्वीकार कर देना और आधी रात को कैम्पस के अंदर पुलिस को लाठीचार्ज के लिए आमंत्रित करना कुलपति के तानाशाही और अहंकारी चरित्र का परिचायक है।
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